chandrayaan-3 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग के बाद भारत ने एक अलग है (Chandrayaan 3) इतिहास अपने नाम दर्ज कर लिया और सबसे बड़ा इतिहास तो भारत तब दर्ज करेगा जब chandrayaan-3 चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। बीते बुधवार को चौथी बार chandrayaan-3 की कक्षा को बदला गया है जिसके बाद chandrayaan-3 अपनी पांचवी कक्षा में प्रवेश कर गया है और यह इसकी अंतिम कक्षा होगी।
चंद्रयान 3 चंद्रमा के काफी नजदीक आ चुका है इसरो ने खुद (Chandrayaan 3) अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट करते हुए लिखा है कि chandrayaan 3 को 153 किमी x 163 किमी की कक्षा में स्थापित कर दिया है। Chandrayaan-3 के सभी टास्क पूरे हो चुके हैं अब सभी लोगों को प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल के अलग होने का इंतजार है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सतीश (Chandrayaan 3) धवन अंतरिक्ष केंद्र से 14 जुलाई को chandrayaan-3 को लांच किया गया था इसके बाद चंद्रयान-3 ने कई सारे टास्क पूरे कर लिए हैं और यह अब अपने अंतिम चरण तक जा पहुंचा है। लॉन्चिंग से पहले ही वैज्ञानिकों के द्वारा यह बता दिया गया था कि आने वाले 23 अगस्त को चंद्रयान 3 चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर जाएगा अगर भगवान का साथ रहा और वैज्ञानिकों की मेहनत रंग लाई तो अवश्य 23 अगस्त को भारत एक बहुत ही बड़ा मुकाम हासिल करने वाला है।
क्योंकि अगर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भारत चंद्रयान-3 की (Chandrayaan 3) सॉफ्ट लैंडिंग करने में सक्षम रहता है तो भारत पूरी दुनिया में एकमात्र ऐसा देश बन जाएगा जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपने यान की सॉफ्ट लैंडिंग करवाई है ।
इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि जो (Chandrayaan 3) गलती उन्होंने chandrayaan-2 में दोहराई थी उस गलती से सबक लेते हुए चंद्रयान-3 को पहले से भी कहीं ज्यादा टेस्टिंग के साथ चंद्रमा पर भेजा है उम्मीद यह है कि chandrayaan-3 अपने मिशन में जरूर सक्सेस होगा और आने वाले 23 अगस्त को भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया इस नजारे को देखने वाली हैं।