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Chandrayaan-3: जानिए चन्द्रमा तक पहुंचने के लिए Chandrayaan-3 खुद कैसे अपना रास्ता खोजेगा?

14 जुलाई 2023 को भारत के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से Chandrayaan-3 की लॉन्चिंग कर दी गई है और Chandrayaan-3 लगातार चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग करने के लिए आगे बढ़ रहा है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Chandrayaan-3 अभी 127608 km x 234 km के ऑर्बिट पर घूम रहा है लेकिन ज्यादातर लोगों के मन में केवल एक ही प्रश्न है कि आखिर Chandrayaan-3 अंतरिक्ष में अपना रास्ता कैसे खोज रहा है?

अब ऐसे लोगों के मन में तमाम प्रश्न उठ रहे हैं कुछ लोगों ऐसा सोच रहे हैं कि क्या अंतरिक्ष में कोई जीपीएस Chandrayaan-3 के पास मौजूद है जो उसको रास्ता खोजने में मदद कर रहा है? तो चलिए अब जानते हैं कि आखिर किस तरह से Chandrayaan-3 अंतरिक्ष में अपना रास्ता खोज रहा है।

वर्तमान समय के अंदर Chandrayaan-3 पृथ्वी के चारों ओर 40400 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चक्कर लगा रहा है। आने वाले 5 अगस्त को Chandrayaan-3 चंद्रमा की पहली बारी कक्षा के अंदर प्रवेश करने वाला है।

Chandrayaan-3 के अंदर किसी भी तरह का जीपीएस सिस्टम इंस्टॉल नहीं किया गया है और जो लोग जानते हैं उन्हें तो अच्छी तरीके से पता है कि अंतरिक्ष के अंदर कोई भी जीपीएस सिस्टम काम नहीं करता है इस वजह से स्पेसक्राफ्ट्स में लगे स्टार सेंसर्स की मदद से सेटेलाइट स्पेसक्राफ्ट में अपना रास्ता ढूंढ पाने में सक्षम होती हैं।

अभी तो Chandrayaan-3 पांचवी ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा है और जब यह अपना चक्कर पूरा कर लेगा तो उसके बाद इसे काफी लंबी दूरी तय करनी है। वही कोई भी सेटेलाइट जब स्पेसक्राफ्ट में जाती है तो उसकी मदद सूर्य और ध्रुवतारा दोनों करते हैं क्योंकि दिन के समय में सूर्य की मदद से आगे का रास्ता पता करने में मदद मिल जाती है और रात के समय में ध्रुव तारे की मदद से सेटेलाइट से अपना रास्ता खोज पाने में सक्षम होती है।

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